'छापने' पर 'छापे' से नहीं लग सकती है पाबंदी, सवालों के जवाब दे सरकार
दैनिक भास्कर, भारत समाचार और हर्रैया के विधायक अजय सिंह पर छापे के क्या हैं निहितार्थ?

यह विचित्र समय है जब केन्द्र की सरकार ने यह कह दिया कि कोरोना संकट काल में आक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई. बात यही खत्म नहीं हुई नेताओं, मंत्रियों, अधिकारियों, पत्रकारों की जासूसी के बहस के बीच भास्कर समूह (Dainik Bhaskar) और भारत समाचार (Bharat Samachar) के ठिकानों पर अचानक छापे पड़ गये. बस्ती में हर्रैया विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक अजय सिंह (ajay singh harraiya basti) के आवास पर भी आयकर का छापा पड़ गया. इसके अलग-अलग निहितार्थ निकाले जा रहे हैं.
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यदि आप सरकार और भाजपा के साथ नहीं हैं तो
लोग कहने लगे है कि यदि आप सरकार और भाजपा के साथ नहीं हैं तो इसकी कीमत किसी भी रूप में चुकानी पड़ सकती है. क्या देश को इसी अच्छे दिन का इंतजार था. सरकार जनता के सवालों से आज तो बच सकती है किन्तु मौन जनता जब अपना फैसला सुनायेगी तो ....?
इसे बार-बार स्मरण रखना होगा कि लोकतंत्र की असली शक्ति जनता में निहित है और उसके लोकतांत्रित अधिकारों की रक्षा करना माध्यम जगत का धर्म है. पत्रकारिता जब अंग्रेजी हुकूमत से नहीं डरी तो आज भी वह सत्ता प्रतिष्ठान के भय से भयभीत होने वाली नहीं है. अच्छा हो कि सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट करे.
साथ ही यह भी जान लें कि इतिहास बिना संघर्षो के नहीं बनता, सच कहने की कीमत चुकानी पड़ती है. राजा प्रजा को समाप्त नहीं कर सकता किन्तु प्रजा में राजा को समाप्त करने की शक्ति होती है. इस सच को न भूलें.