Gorakhpur News: ईद-उल-अज़हा : नमाज़ अदा कर अल्लाह की राह में पेश की क़ुर्बानी

Gorakhpur News: रविवार को ईद-उल-अज़हा पर्व शांति, सादगी, मोहब्बत, अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया. ईद-उल-अजहा की नमाज़ शहर की सभी ईदगाहों व मस्जिदों में अमनो, सलामती, भाईचारे की दुआ के साथ मुकम्मल हुई. लोगों ने गले मिलकर मुबारकबाद पेश की. सबसे पहले चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर व सबसे आखिर में सुन्नी जामा मस्जिद सौदागर मोहल्ला में नमाज़ अदा की गई. मुस्लिम घरों व तीन दर्जन से अधिक चिन्हित स्थानों पर कु़र्बानी की परंपरागत रस्म अदा की गई. बंदो ने रो-रो कर क़ुर्बानी की कुबूलियत व अपने गुनाहों की माफी मांगी. कोरोना महामारी व लॉकडाउन के दो साल बाद पर्व में खूब उत्साह दिखा.ईदगाह मुबारक खां शहीद नार्मल, ईदगाह बहरामपुर, ईदगाह फतेहपुर, ईदगाह बेनीगंज, ईदगाह इंजीनियरिंग कॉलेज, जामा मस्जिद रसूलपुर, मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती,जामा मस्जिद उर्दू बाजार, जामा मस्जिद सुब्हानिया तकिया कवलदह, मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया दीवान, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाज़ार, सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर सहित सभी इबादतगाहों पर भीड़ उमड़ी.
रंग बिरंगी पोशाकों में नज़र आए छोटे से बड़े
ईद-उल-अज़हा की नमाज़ के लिए लोग सुबह से ही तैयार होने लगे. बच्चों व बड़ों ने नहा कर नया कपड़ा पहना. खुशबू लगाई. सिर पर टोपी पहनी. चल पड़े ईदगाह व मस्जिद की ओर. ज़बान पर तकबीरे तशरीक़ की सदा थी. रंग-बिरंगी, सफेद पोशाकों से हर ओर खुशनुमा नज़ारा था. तय समय पर ईद-उल-अज़हा की नमाज़ अदा की गई. खुतबा पढ़ा गया. दुआ मांगी गई. ईद-उल-अज़हा मुबारक की सदाएं हर ओर गूंजने लगी. छोटे से लेकर बड़ों ने एक दूसरे को गले मिलकर बधाई दी. ईदगाह, मस्जिद व क़ुर्बानीगाहों के पास काफी चहल पहल रही. सभी तकबीरे तशरीक़ पढ़ते हुए घर वापस हुए. बहुत से लोग पूर्वजों की कब्रों पर फातिहा पढ़ने कब्रिस्तान भी गए.
इस अंदाज से हुई क़ुर्बानी, ग़रीबों व जरूरतमंदों में बांटा गोश्त
आधी आबादी ने पर्व में चार चांद लगाया
ईद-उल-अज़हा की खुशियों में चार-चांद लगाने में आधी आबादी दिलो जान से लगी रही. रात में ही ईद-उल-अज़हा के पकवानों का सामान तैयार किया. मेंहदी लगाई. सुबह उठकर फज्र की नमाज़ पढ़ी. बच्चों के साथ घर के अन्य लोगों को तैयार करवाया. फिर जुटीं सेवईयां बनाने में. सेवईयां बन गई तो मटर, दही बड़ा, रसगुल्ला व सुबह का नाश्ता तैयार किया. इसके बाद क़ुर्बानी की तैयारी शुरु की. क़ुर्बानी हो गई तो बोटी बनवाने व गोश्त की तकसीम तक जुटी रहीं. जब यह काम खत्म हुआ तो जुट गईं लज़ीज़ पकवानों को बनाने में. झट से गोश्त पोलाव बना डाला. तरह-तरह की शानदार रोटियां बाजार से आईं. तुर्कमानपुर, रसूलपुर, गोरखनाथ, नखास, उर्दू बाजार के पास बाकरखानी, नान रोटी, शीरमाल लेने वालों की कतार लगी रही. दोपहर से दावत का दौर शुरु हुआ जो पूरे दिन तक चलता रहा. इससे पूर्व महिलाएं ईद-उल-अज़हा के लिए तैयार हुईं. नहा धोकर किसी ने साड़ी तो किसी ने सलवार सूट पहना. इसके बाद अल्लाह की बारगाह में दो रकात नमाज़ शुक्राना अदा किया. दुआ मांगी. फिर मेहमान नवाजी की तैयारी में जुटीं. पूरा दिन इसी तरह बीता. सभी की खातिरदारी लज़ीज़ पकवानों व सेवईयों से की गई. बड़ों ने बच्चों को ईदी से भी नवाज़ा. पूरा दिन खुशियों के साथ खुशी बांटते बीता.
मदरसों को दी गई क़ुर्बानी के जानवर की खाल
क़ुर्बानी के जानवर की खाल मदरसे में दी गई. खाल के गिरते रेट के मद्देनज़र अकीदतमंदों ने खाल के साथ कुछ रक़म भी दी, ताकि मदरसों का आर्थिक निज़ाम सही तरह से चल सके.