Sawan 2021: बस्ती के इन शिवालयों में प्रोटोकॉल का पालन कर होगा जलाभिषेक, आप भी जानें क्या है इन मंदिरों का इतिहास

Sawan 2021: बस्ती के इन शिवालयों में प्रोटोकॉल का पालन कर होगा जलाभिषेक, आप भी जानें क्या है इन मंदिरों का इतिहास
bhadreshwar nath mandir basti

बस्ती. आज से श्रावण मास शुरू हो गया है. कांवड़ यात्रा स्थगित होने की वजह से  इस बार शिवभक्त अपने आसपास के ही शिवालयों में जलाभिषेक कर सकेंगे. आइए हम आपको बताते हैं उत्तर प्रदेश स्थित बस्ती जिले के कुछ प्रमुख शिव मंदिरों के बारे में जहां जाकर आप जलाभिषेक कर सकते हैं.

भद्रेश्वरनाथ शिव मंदिर : जिला मुख्यालय से आठ किमी दूर बाबा भद्रेश्वर नाथ का धाम है. कुआनो नदी के तट पर स्थित यह शिव मंदिर प्राचीन महात्म्य को समेटे हुए है. किंवदंति है कि त्रेताकाल में यह स्थल भद्रेश जंगल नाम से प्रसिद्ध था. रावण ने इस जंगल में विश्रम किया था. भगवान शिव की आराधना के लिए उसने ही यहां शिवलिंग की स्थापना की थी. कालांतर में एक पुजारी को स्वप्न में भद्रेश जंगल में शिवलिंग होने का स्वप्न दिखा. तभी से यह सर्वविदित हुआ. वर्तमान समय में मंदिर परिसर काफी विशाल है. इस शिवालय की मान्यता सदियों से है. प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं का यहां तांता लगा रहता है.

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जिले के अन्य प्रमुख शिव मंदिर: बेहिलनाथ शिव मंदिर- बनकटी विकास खंड के बस्ती शहर से 16 वें किमी पर स्थित बेहिलनाथ मंदिर प्राचीन कालीन है. कहा जाता है कि यह बौद्ध काल का मंदिर है. यहां स्थापित शिवलिंग अपने आप में अनूठा है. इस स्थान पर प्राचीन टीले हैं.

तिलकपुर शिवमंदिर पर जुटेंगे श्रद्धालु
बस्ती-फैजाबाद राष्ट्रीय मार्ग पर स्थित तिलकपुर शिव मंदिर पर भी श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां भी जलाभिषेक होगा. क्षेत्रीय श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इस मंदिर पर पूरे दिन जमा रहती है. 

deoria mandir basti

देवरिया और कड़र खास शिवमंदिर भी आस्था केंद्र
वहीं बस्ती-मुंडेरवा मार्ग पर लौटी चौराहे के निकट कड़र खास मंदिर का भी महात्मय है. यहां शिवरात्रि के दिन गंजा बाबा को श्रद्धालु जलाभिषेक करके प्रसन्न करते हैं. इसके साथ ही मुख्य मार्ग के किनारे स्थित देवरिया शिव मंदिर भी आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां भी भोर से ही श्रद्धालु जुटने लगते हैं.  देवरिया मंदिर के मुख्य पुजारी भरतलाल गोस्वामी बताते हैं कि उनके पिता भी यहां पुजारी थे.

kadar mandir basti

मान्यता है कि ब्रिटिश हुकूमत ने यहां विमान उतारने के लिए हवाई पट्टी का निर्माण शुरू किया था. अंग्रेजों ने भगवान शिव की ¨पडी हटाने का प्रयास किया तो उनके ऊपर बर्रे (डंक मारने वाली मक्खी) के झुंड ने हमला बोल दिया. जिससे कामगारों को जान बचाकर भागना पड़ा. इसके बाद यहां शिव मंदिर बना. सहायक पुजारी शिवनरायन मिश्र ने बताया कि वे पंद्रह साल से मंदिर में सेवा कर रहे हैं. यहां सच्चे मन से पूजा करने वाले की मनोकामना पूरी होती है.

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