Basti Election 2022: बस्ती में चुनाव हारे तो एक दूसरे पर आरोप लगाने में जुटे भाजपाई
अजय श्रीवास्तव
-भारतीय बस्ती संवाददाता-
बस्ती. भाजपा कार्यकर्ताओं की उदासीनता और कार्यकर्ताओं की नारजगी के कारण भाजपा को बस्ती सदर सहित चार सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. छह महीने पहले से चुनाव की तैयारियों पर भाजपा के पांचों विधान सभा सीटों पर नए चेहरे के दम पर चुनाव लड़ने की बात की जा रही थी. लेकिन उच्च कमान ने सभी निष्ठावान कार्यकर्ताओं को नकारते हुए पिछले विधान सभा में जीते सभी भाजपा के प्रत्याशियों को टिकट दे दिया. इससे भाजपा के कार्यकर्ता अंदर ही अंदर रुष्ट दिखे और वह प्रत्याशियों के सीधे समर्थन में नहीं उतरे जिसके चलते भाजपा को बस्ती विधान सभा की चार सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. हर्रैया विधान सभा में अजय सिंह ने भारी मतों से जीत दर्ज कर भाजपा की लाज बचाई.
बस्ती विधान सभा की पांचों सीटों पर छह महीने पहले से ही चुनाव में नए-नए चेहरों को टिकट देने के कयास लगाए जा रहे थे. लोग अपने-अपने विधान सभा में अपनी-अपनी जीत की तैयारी भी कर रहे थे. लेकिन छठेे चरण के कुछ ही दिन पहले पिछले साल भाजपा से विजयी पांचों सीटों के विधायकों को टिकट देकर चुनाव में उतार दिया. जिसके कारण भाजपा के कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी आई और कार्यकर्ता भितरघात के चलते चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों का खुलकर समर्थन नहीं कर सके. यही कारण है कि बस्ती की तीन सीटों पर सपा तो एक सीट पर सपा गठबंधन की जीत हुई. हालांकि बस्ती सदर की सीट पर काफी जद्दोजहद होता रहा. गुरुवार की रात नौ बजे तक अफवाहें फैलती रहीं कि कभी भाजपा के प्रत्याशी की जीत हुई तो कभी सपा के प्रत्याशी की जीत हुई. आम लोगों मंे इसकी जोरों पर चर्चा भी बनी रही कि सदर की सीट से कौन प्रत्याशी जीत रहा है. रिकाउंटिंग के बाद रात साढ़े नौ बजे सपा के प्रत्याशी को विजयी घोषित किया गया. इससे भाजपा के चार सीटों पर लड़ रहे भाजपा के समर्थकों और प्रत्याशियों में मायूसी छाई रही.
2022 के विधान सभा चुनाव में किसी ने कल्पना भी नहीं किया था कि चार सीटों पर भाजपा की करारी हार होगी. भाजपा के ही कुछ कार्यकर्ताओं का कहना कि इस बार मतदाताओं ने बस्ती में पार्टी को देखकर नहीं व्यक्ति को देखकर वोट किया इसीलिए भाजपा को चार सीटों से हाथ धोना पड़ा. फिलहाल लोकसभा चुनाव में भाजपा बस्ती की सीट पर फिर से वापसी कर पाएगी या नहीं यह तो भविष्य की बात है लेकिन कार्यकर्ताओं और मतदाओं की नाराजगी से यह तो स्पष्ट है कि भाजपा को लोकसभा की तैयारी के अपनी पूरी ताकत लगाने की जरूरत पड़ेगी.