19 माह में अनुसूचित जाति-जनजाति पर अत्याचार करने वाले 29 हजार आरोपी
भोपाल. टीकमगढ़ जिले के जतारा अन्तर्गत ग्राम गुडा पाली की श्रीमती खिलन अहिरवार ने दबंगों के विरुद्ध इस साल के छह माह में कई बार प्रताडि़त किए जाने और जान से मारने की धमकी दिए जाने की सूचना पुलिस को दली लेकिन उसे तत्काल न्याय नहीं मिल सका. बार-बार मौखिक और लिखित फरियाद करने पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्यवाही कर दी. प्रदेश में महिला अपराध का यह एकलौता मामला नहीं हे, बल्कि इसकी संख्या हजारों में पहुंच गई है. यही कारण है कि हर साल दर्ज होने वाले कुल महिला अपराधों में पुलिस की पुअर विवेचना के कारण कोर्ट में औसतन 28 प्रतिशत प्रकरणों में ही आरेापित को सजा मिली. वहीं 19 माह में एससी-एसटी पर अत्याचार के 16297 प्रकरण दर्ज हुए हैं. इनमें 29973 आरोपी बनए गए लेकिन आज भी 2800 से ज्यादा आरोपी पुलिस के हाथ नहीं आ सके हैं.
एक अप्रैल 2020 से 30 नवम्बर 2021 के बीच प्रदेश में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग पर अत्याचार के 16297 प्रकरण दर्ज हुए. इनमें 29373 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. जबकि 2857 आरोपी आज भी पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं. यही कारण है कि कोर्ट में चालान पेश करने में देर हो रही हे. विभाग के रिकार्ड के अनुसार दर्ज अपराधों में 1546 मामलों में चालान प्रस्तुत नहीं किए जा सके हैं.
गृह विभाग के रिकार्ड बताते हैं कि वर्ष 2018 से 2021 के बीच प्रदेश में महिला अपराधों के कुल 21395 प्रकरण कोर्ट में लंबित हैं. हालांकि 36 प्रकरणों में 39 आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई है. इस संबंध में पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच का कहना है कि प्रदेश मेें एससी-एसटी और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार तथा अपराधों के दर्ज होनने के बाद बहुत जरूरी है कि विवेचना पूरी ईमानदारी से हो. कोर्ट में जब चालान प्रस्तुत किया जाता है तो इसका ध्यान रखाा जाए कि अभियोजन मजबूत हो. सुपरविजन भी ठीक होना जरूरी है.