भारतीय राजनीति के युग प्रवर्तक भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी
संजीव ठाकुर
स्वयं को समाज का सेवक कहने वाले और समष्टि के लिए व्यष्टि का बलिदान करने वाले व्यक्ति कोई साधारण लेखक या कवि मात्र नहीं थे,बल्कि भारतीय राजनीति के स्तंभ के रूप में स्थापित हो चुके पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ही थेl भारतीय राजनीति में जिस प्रकार से एक नए युग प्रवर्तक की भूमिका अटल जी ने निभाई वह निश्चित तौर पर युगों युगों तक ज्याद की जाएगी. 25 दिसंबर 1924 में ग्वालियर में मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी विलक्षण प्रतिभा के वक्ता और संवेदनशील कवि थे.
सरस्वती शिशु मंदिर मैं प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त कर विक्टोरिया कॉलेज में उन्होंने स्नातक की डिग्री ली फिर राजनीति विज्ञान में कानपुर के दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की थी. मूल रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सदस्य रहे तथा आर्य कुमार सभा में सक्रिय भूमिका निभाई. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के तहत जेल भी गए थे. इसके पश्चात भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के संपर्क में आकर और अपनी प्रतिभा की बदौलत उनके राजनीतिक सचिव बन गए. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता रहते हुए उन्होंने राष्ट्र धर्म चेतना, दैनिक स्वदेश, वीर अर्जुन,आदि पत्र पत्रिकाओं के संपादन का कार्य भी भली-भांति संपादित किया था. एक कुशल संपादक एवं प्रखर पत्रकार भी रहे हैं. 1953 में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आकस्मिक निधन के बाद भारतीय जनसंघ की अगुवाई का जिम्मा भी उनके ऊपर आया जिसका निर्वहन भी उन्होंने बखूबी किया. स्वाधीन भारत की राजनीति के अटल जी एक अटल स्तंभ बने और राजनीति में संवेदनशील सुचिता के प्रखर प्रवर्तक भी रहे. 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था पर उस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा पर धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता वृद्धि होती गई परिणाम स्वरुप वह 9 बार लोकसभा दो बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए. वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मुख्य भूमिका निभाई थी. कवि हृदय होते हुए बेबाक बोलने का कौशल रखने वाले वाजपेयी जी ने लगभग 4 दशक से अधिक समय तक विपक्ष में रहते हुए बहुत ही सकारात्मक भूमिका निभाई और भारत के तीन बार प्रधानमंत्री चुने गए. पहली बार 1996 में 13 दिन दूसरी बार वर्ष 1998 में 13 महीने सरकार चला सके परंतु वर्ष 1999 में तीसरी बार प्रधानमंत्री के बाद पूरे 5 साल सफलतापूर्वक सरकार चलाने में वह कामयाब रहे.
भारतीय राजनीति में उपलब्ध कराने वाले पहले गैर कांग्रेसी नेता है. स्वयं पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी ने उनकी वाकपटुता तथा ओजस्वी लेखन को देखते हुए कहा था किया नौजवान एक दिन भारत का प्रधानमंत्री जरूर बनेगा. उनका कहना सत्य भी हुआ और नेहरू, इंदिरा जी के बाद पुनः देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला जिसने देश को एक नई राजनीतिक ऊर्जा दी.
कवि हृदय होते हुए भी अटल जी ने बेझिझक होकर सबके सामने अपनी बात रखने का कौशल दिखाया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक नई पहचान दिलाई. बिना किसी दबाव के उन्होंने परमाणु शक्ति बनाने में अहम भूमिका निभाई और पड़ोसी देश पाकिस्तान से नए रिश्ते की बुनियाद भी रखी. उनके कार्यकाल की विदेश नीति अब तक की सबसे सफल विदेश नीति मानी जाती है. उन्होंने दिल्ली लाहौर बस सेवा का शुभारंभ किया और स्वयं बैठकर लाहौर तक गए थे. अटल जी की उदारता का अनुचित लाभ उठाते हुए 1999 में पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध का कुचक्र रचा, अटल बिहारी जी ने इस युद्ध की स्थिति को बहुत अच्छी तरह संभाला और ऑपरेशन विजय के अंतर्गत भारतीय सेना ने पाकिस्तान सेना को पराजित किया था. अटल जी के नेतृत्व में इस विजय के फल स्वरुप अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में यह संदेश गया कि भारत का नेतृत्व कुशल और अनुभवी हाथों में है,भारत किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है. इसके अतिरिक्त उन्होंने ग्रामीण सड़क योजना स्वर्णिम चतुर्भुज योजना सर्व शिक्षा अभियान और नदी जोड़ो परियोजना जैसी कल्याणकारी परियोजनाओं का आरंभ किया. बिना किसी वाद विवाद के वर्ष 2000 में 3 नए राज्यों उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखंड के गठन का श्रेय भी अटल बिहारी सरकार को ही जाता है. उनके कार्यकाल में आर्थिक मंदी के बावजूद भारत विकास दर में वृद्धि दर्ज करा सका था .इस प्रकार उन्होंने आज के भारत को बनाने में अविस्मरणीय योगदान दिया था.
राजधर्म को सर्वोपरि मानने वाले एवं उसका पालन करने वाले श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को आज भी एक सशक्त नेता ,मंत्र मुक्त करने वाला वक्ता, कुशल प्रशासक, विरोधियों के बीच सहज स्वीकार्य ,भरोसा पैदा करने वाले और असहमतियों का आदर करने वाले शख्स के रूप में याद किया जाता है. कदम से कदम मिलाकर चलना होगा में विश्वास रखने वाले अटल जी मैं स्वाभाविक रूप से सबको साथ लेकर चलने का राजनीतिक कौशल भी था जिसके कारण उनके विरोधी भी उनकी प्रशंसा करने में थकते नहीं हैं. अटल जी एक साफ-सुथरी निर्विवाद एवं बेबाक सभी के स्वामी थे. भारतीय राजनीति स्वच्छ छवि के एकमात्र नेता अटल बिहारी वाजपेयी पूर्व प्रधानमंत्री ही थे.
अटल जी एक अच्छे कवि तथा एक अच्छे लेखक भी थे. मेरी 51 कविताएं, मृत्यु या हत्या, अमर बलिदान, कैदी कविराय की कुंडलियां ,21 कविताएं, न्यू डाइमेंशन आफ इंडियन फॉरेन पॉलिसी आदि प्रमुख किताबों के रचयिता थे. खराब स्वास्थ्य के कारण 2005 में राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी थी. उन्हें 2014 में भारत रत्न से भी नवाजा गया था. अटल बिहारी वाजपेयी आज हमारे बीच नहीं हैं किंतु वह भारत के करोड़ों दिल में आज भी जिंदा हैं उन्हें शत-शत नमन श्रद्धांजलि. (यह लेखक के निजी विचार हैं.)