OPINION : आतंकवाद पर मोदी-ट्रम्प का दोहरा प्रहार
ह्यूस्टन (Huston) में प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) और अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने आतंकवाद ने डबल प्रहार किया है.
आतंकवाद पर मोदी-ट्रम्प के सख्त बयानों के बाद दुनिया भर में इन बयानों की चर्चा तो हो ही रही है.
वहीं आतंकवाद (Terrorism) के खिलाफ दुनियाभर में एक नयी मुहिम छेड़ने की तैयारी पर अलग-अलग मंचों और संगठनों के माध्यम से हो रही है.
वहीं मोदी और ट्रम्प के बयानों के बाद भारत के सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (Bipin rawat) का बयान चौंकाता भी है और फालोअप भी लगता है.
जनरल ने खुलासा किया है कि बालाकोट में आतंकी एक बार फिर सक्रिय हो रहे हैं.
करीब 500 आतंकी घुसपैठ की फिराक में हैं. इसके अलावा, जम्मू के पास कठुआ में 40 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुआ है.
कश्मीर (Jammu kashmir) की अलग-अलग जगहों से आतंकी गिरफ्तार किए गए हैं. आतंकवाद कश्मीर तक सीमित नहीं है.
पंजाब (Punjab) के तरनतारन में चार ऐसे आतंकी पकड़ में आए हैं, जिनसे एके-47 राइफलें, कुछ पिस्तौलें और हैंड ग्रेनेड आदि बरामद किए गए हैं.
साजिश पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद को नए सिरे से सुलगाने की लगती है, लिहाजा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से बात की है.
अब एनआईए इन आतंकी हरकतों और कवायदों की व्यापक जांच करेगी.
UNGA में भी नरेंद्र मोदी उठाएंगे आतंकवाद का मुद्दा
प्रधानमंत्री मोदी ने हाउडी मोदी (Howdy Modi) इवेंट के मंच से आतंकवाद की निर्णायक लड़ाई की बात ही नहीं की है, बल्कि यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के मंच से भी गूंजेगा.
प्रधानमंत्री मोदी 27 सितंबर और पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान (Imran khan) 28 सितंबर को महासभा को संबोधित करेंगे.
आतंकवाद और कश्मीर के मुद्दे उभरने स्वाभाविक हैं.
ध्यान रहे कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार परिषद (UNHRC) की बैठकों में पाकिस्तान मुंह की खा चुका है.
अमरीका (America)समेत रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी सरीखे देशों ने भारत का समर्थन किया था, लेकिन वहां साफ तौर पर आतंकवाद को लेकर विमर्श नहीं था.
अब मंच यूएन महासभा का है और उससे पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने ह्यूस्टन में आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का आह्वान किया था.
दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने पहली बार कहा कि दोनों देशों के मासूम नागरिकों की रक्षा के लिए चरमपंथी इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ लडना हमारी प्रतिबद्धता है.
यह इस्लामी आतंकवाद मिस्र और अरब देशों का नहीं है, जैसा पाकिस्तान सफाई दे रहा है, बल्कि स्पष्ट तौर पर पाकिस्तानी आतंकवाद है.
क्या UNGA में कोई प्रस्ताव पारित होगा?
तो क्या यूएन महासभा के मंच पर इस्लामी आतंकवाद पर कोई औपचारिक प्रस्ताव पारित होगा? किसी कार्रवाई की संभावना है?
क्या अब आतंकवाद के इतिहास में दर्ज होने का भी वक्त आ गया है?
महासभा के मंच पर जाने से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का एक कबूलनामा सामने आया है कि बालाकोट में भारत ने एयर स्ट्राइक कर बम गिराए थे, हमारे लोग मारे गए थे.
दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने हायूस्टन के एनआरजी स्टेडियम से अपनी स्पीच में पाकिस्तान को सीधे तौर पर चार बड़े संदेश दिए.
ट्रम्प ने अपने भाषण में पहला संदेश दिया कि सीमा सुरक्षा भारत के लिए महत्वपूर्ण है. दूसरा हमें अपनी सीमाओं की रक्षा करनी चाहिए.
ट्रम्प के संदेश के मायने
तीसरा जो संदेश दिया वो यह है कि हम कट्टरपंथी इस्लामिक आतंक से लड़ेंगे.
इसके बाद चौथा बड़ा संदेश यह रहा कि संयुक्त रूप से आतंकवाद से हम ही नहीं पूरी दुनिया लड़ेगी.
ट्रम्प के भाषण के बाद न केवल पाकिस्तान बल्कि दुनियाभर में फैले ओर बसे चरमपंथियों और उनके समर्थकों के लिये कड़ा, सीध और साफ संदेश है कि आतंकवाद को अब बर्दाशत नहीं किया जाएगा.
उसके खिलाफ एकजुटता जरूरी है.
पीएम मोदी ने इसके साथ ही बिना नाम लिए आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को धो डाला. कहा कि 9/11 हो या मुंबई में 26/11 हो, उसके साजिशकर्ता कहां पाए जाते हैं?
उन्होंने कहा कि इन लोगों ने भारत के प्रति नफरत को ही अपनी राजनीति का केंद्र बना दिया है, ये वो लोग हैं, जो अशांति चाहते हैं.
जब ट्रम्प ने बजाई ताली
प्रधानमंत्री मोदी जब पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उसे वैश्विक आतंकवाद का गढ़ बताते हुए हमला कर रहे थे, उस वक्त दर्शकों में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी मौजूद थे जो उनके भाषण के बीच में कई बार तालियां बजाते हुए दिखे.
मोदी ने कहा, “अब वक्त आ गया है कि आतंकवाद के खिलाफ सबको मिलकर लड़ाई लड़नी होगी. ट्रंप ने मजबूती के साथ आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. आतंक के खात्मे पर उनके मनोबल के लिए भी सबको तालियां बजाकर उनका अभिवादन करना चाहिए.”
ये खुला तथ्य है कि पाकिस्तान में दहशतगर्दी पहले की सरकारों की देन है.
हमारी सरकार तो उससे लड़ रही है. इमरान के इस कबूलनामे ने हमारे सेना प्रमुख जनरल रावत के खुलासे की पुष्टि की है.
सिर्फ 4-5 आतंकियों पर हुई पाक में कथित कार्रवाई
बहरहाल गौरतलब यह है कि पाकिस्तान में सक्रिय करीब 100 आतंकियों के नाम संयुक्त राष्ट्र की सूची में हैं, लेकिन उनमें से मात्र 4-5 को ही पकड़ा गया है या कुछ कार्रवाई की गई है.
क्या यूएन महासभा में इसका संज्ञान लिया जाएगा? या महासभा सिर्फ भाषणबाजी का ही मंच है?
वैसे प्रधानमंत्री मोदी महासभा के मंच पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की पूरी कोशिश करेंगे.
इस संदर्भ में सेना ने कश्मीर में सक्रिय 273 आतंकियों का पूरा ब्यौरा तैयार करके दिया है.
उसमें आतंकवादियों के देश, गांव, आतंकी हमलों, आतंकी संगठन आदि की पूरी जानकारी दी गई है.
इन आतंकियों में 107 पाकिस्तान के हैं और शेष कश्मीर के स्थानीय आतंकी बताए जाते हैं.
यदि प्रधानमंत्री इस दस्तावेज को महासभा के मंच पर रख दें, तो पाकिस्तान इतना बेनकाब होगा, जितना पहले कभी नहीं हुआ होगा!
जानकारों के मुताबिक मोदी ने पाकिस्तान पर एक दूसरा ‘ट्रंप कार्ड’ अमेरिका पर हुए सबसे बड़े आतंकी हमले और मुंबई अटैक को जोड़कर चला और बिना नाम लिए पाकिस्तान की तरफ इशारा भी कर दिया.
वैश्विक मंचों पर कश्मीर को लगातार मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान के लिए मोदी के इस कूटनीतिक स्ट्रोक का तोड़ निकालना अब मुश्किल होगा.
हाउडी मोदी में सांसदों के लिए तालियां
वहीं हाउडी मोदी के इस मेगा इवेंट में पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने ही 370 हटाने पर भारतीय सांसदों के लिए तालियां बजवाकर अमेरिका ही नहीं, बल्कि विश्व बिरादरी को भी साफ कर दिया कि यह फैसला देश की सर्वोच्च संस्था ने लिया है.
मोदी यह कूटनीतिक दांव पाकिस्तान के पीएम इमरान खान द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दा उठाने से ठीक पहले चला है.
अब तो अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी कह दिया है कि पाकिस्तान बीते 15 सालों में अमरीका के साथ छल-कपट करता रहा और अमरीका ने बेवकूफी से 33 अरब डालर की आर्थिक मदद उसे दी.
अमरीका के ही रक्षा मंत्री रहे जेम्स मैटिस ने आशंका जताई थी कि पाकिस्तान में परमाणु हथियार आतंकियों के हाथों में जा सकते हैं.
ये बयान और टिप्पणियां फिजूल नहीं हैं.
एक अमरीकी रपट ही है कि कमोबेश 40 देशों में पाकिस्तान आतंकवाद का निर्यात करता रहा है.
अब निर्णायक लड़ाई का वक्त
अब यदि निर्णायक लड़ाई का वक्त आ गया है, तो कमोबेश भारत-अमरीका को साझा प्रयास करने होंगे और यूएन महासभा के मंच को भी उसी के अनुरूप ढालना होगा.
भारत के एक पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल का मानना है कि अब पीओके को बांग्लादेश की तरह आजाद कराने की कार्रवाई खुद भारतीय सेना को करनी पड़ेगी.
ज्यादातर आतंकी सीमा पार हैं. उन्हें बर्बाद करने की रणनीति तय करनी होगी. उसके लिए भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन की दरकार है, जिसके लिए अमरीका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
संतोष कुमार भार्गव. लेखक मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं. यह उनके निजी विचार हैं.
यह भी पढ़ें: OPINION : क्या वाकई ट्रंप एक विश्वासपात्र शख्सियत हैं?