Zila panchayat Chunav Basti: बस्ती में सपा और भाजपा को सता रहा है एक ही जैसा 'खतरा'
बस्ती. जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी दोनों अपने-अपने जीत के दावे कर रही है. जिला पंचायत सदस्यों को सहेजने में दोनों दलों के दिग्गजों को पसीने छूट रहे है. अब तक की रणनीति को देखें तो समाजवादी पार्टी लड़ने के मूड में दिख रही है. सरेंडर करने, सपा प्रत्याशी के गायब होने की अटकलों पर विराम लग रहा है. नामांकन से एक दिन पूर्व जिस तरह से सपा जिलाध्यक्ष महेन्द्र नाथ यादव के भाई जितेन्द्र यादव के पुलिस लाइन स्थित आवास पर प्रशासन जेसीबी लेकर पहुंची थी. उसके बाद ही तेजी से राजनीतिक परिस्थितियां करवटें लेने लगी. आवास पर कुछ खास नहीं मिलने पर प्रशासन के लोग खाली हाथ बैरंग लौट आये थे. यही हाल सपा प्रत्याशी वीरेन्द्र चौधरी का था. उनके आवास और भठ्ठे पर प्रशासन ने छापा मारा. जांच-पड़ताल के बाद प्रशासन वहां से भी वापस लौट आयी थी. यही नहीं पूर्व मंत्री रामप्रसाद चौधरी के प्लास्टिक काम्पलेक्स स्थित फ्लोर मिल पर भी छापेमारी की खबर है.
नामांकन में हुए बवाल के बावजूद सपा प्रत्याशी वीरेन्द्र चौधरी ने पर्चा दाखिल कर दिया था. राजनीतिक सूत्रों की मानें तो भाजपा अपने जिला पंचायत सदस्यों को लेकर कहीं चली गयी है. रविवार को तेजी से बदले घटनाक्रम में सपा प्रत्याशी वीरेन्द्र चौधरी, सदस्य शंकर यादव व राजबहादुर अचानक लापता हो गये. उनके गनरों ने सदस्यों के लापता होने की सूचना उच्चाधिकारियों को दी. जिसके बाद हलचलें तेज हो गयीं. सुरक्षा में लगे गनरों आरक्षी राजेश कुमार, गोपाल मिश्र और अमित को पुलिस अधीक्षक आशीष श्रीवास्तव ने सस्पेंड कर दिया.
भाजपा-सपा को एक ही 'खतरा'
बीती रात सपा जिलाध्यक्ष महेन्द्रनाथ यादव व उनके भाई जितेन्द्र यादव के खिलाफ एक जिला पंचायत सदस्य को मारने-पीटने, धमकाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर लिया गया. रात में ही उनके पुस्तैनी आवास पर पुलिस पहुंच कर पूछताछ करने लगी. सोमवार को सपा जिलाध्यक्ष ने अपने समर्थकों के साथ जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल से मिल कर पूरी स्थिति से अवगत कराया. अपने बयान में सपा जिलाध्यक्ष ने कहा की चुनाव लड़ने के नाम पर भाजपा उनके परिजनों और पार्टी सदस्यों को परेशान कर रही है.
पूरे घटनाक्रम का बारीकी से अध्ययन करे तो एक बात साफ हो चली है की सपा किसी भी सूरत में सरेंडर करने के मूड में नहीं है. उनके प्रत्याशी और दोनों अन्य सदस्य नामांकन वापसी के दिन सबके सामने आने की रणनीति पर काम कर रहे है. समाजवादी पार्टी भाजपा को सेफ पैसेज नहीं देगी. दोनों दल अपनी जीत के लाख दावे कर लें. मगर उन्हें अपने-अपने खेमे के जिला पंचायत सदस्यों पर पूरा भरोसा नहीं है. क्रॉस वोटिंग के डर से दोनों दलों के रणनीतिकार माथापच्ची कर रहे है. वहीं प्रशासन सेफ जोन के मूड में काम कर ये दिखाना चाह रहा है की उस पर किसी तरह का दबाव नहीं है.