Basti Zila Panchayat Adhyaksh Chunav : जिला पंचायत के अरबों के बजट पर टिकी हैं दिग्गजों की निगाहें
Basti Zila Panchayat: जिले का प्रथम नागरिक बनाने के लिए भाजपा, सपा में मची रार
बस्ती . जिला पंचायत की कुर्सी पाने के लिए सभी राजनीतिक दल हरसंभव प्रयास करते रहे है. साम, दाम, दण्ड, भेद की नीति अपनाने के बावजूद सत्ताधारी दलों के खाते में ही जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी रहती आयी है. ऐसे में इस बार भी जिला पंचायत की कुर्सी पर रार थमते नहीं दिख रही है. चुनाव लड़ रहे दलों पर भाजपा भारी पड़ रही है. अरबों के भारी भरकम बजट के बावजूद जिले का विकास आम जनता के लिए एक सपना भर बनकर रह गया है.
जिला पंचायत की कुर्सी पर सबसे पहले भगवान दास की ताजपोशी हुई थी. उसके बाद राणा कृष्ण किंकर सिंह, वर्तमान सदर विधायक दयाराम चौधरी, पूर्व कैबिनेट मंत्री राजकिशोर सिंह की माता शारदा सिंह, पूर्व विधायक दूधराम की पत्नी लता देवी, मंत्री राजकिशोर सिंह के पुत्र निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष देवेन्द्र प्रताप सिंह शानू की ताजपोशी उनकी सरकारों में होती रही.
धनबल, बाहुबल और सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग से बनने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष की बागडोर इस बार भाजपा के खाते में जाती हुई दिख रही है. हर साल लगभग एक अरब के बजट पर दावेदारों की निगाहों ने नेताओं की नींद उड़ा रखी है. भाजपा ने संभावित उम्मीदवार के रूप में संजय चौधरी के नाम का खुलासा किया हुआ है. मगर अब तक लिखित रूप से पार्टी ने किसी उम्मीदवार का नाम सार्वजनिक नहीं किया है. जिससे संशय और अफवाहों का बाजार गर्म है.
समाजवादी पार्टी के सबसे ज्यादा सोलह जिला पंचायत सदस्य है. बुधवार को जिला अध्यक्ष महेन्द्र नाथ यादव के साथ पार्टी प्रत्याशी वीरेन्द्र चौधरी जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए पर्चा खरीदने गये. जिला अध्यक्ष के आरोपों की माने तो कलेक्ट्रेट में कर्मचारी अपने स्थान पर नहीं बैठे थे. पर्चा देने वाला कोई नहीं था. बहुत देर तक इंतजार करने के बाद जब कोई नहीं मिला तो पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा की यदि कल समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को पर्चा नहीं मिला तो दल के सभी कार्यकर्ता जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव करेंगे. जिलाध्यक्ष महेन्द्रनाथ यादव ने भाजपा पर सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग का आरोप लगाते हुए कहा की प्रशासन के लोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहे है.
बसपा पंचायत चुनाव के दौरान शांत मूड में दिख रही है. पार्टी की तरफ से कोई अब तक निकल कर सामने नहीं आया है. जबकि बसपा के पास राजकिशोर सिंह जैसा कद्दावर पूर्व मंत्री मौजूद है. उनके पास जिला पंचायत चलाने का पुराना अनुभव है. इसके बावजूद पार्टी द्वारा अब तक किसी संभावित प्रत्याशी की घोषणा न करने से बसपा से जुड़े लोग अवाक है. जो भी हो जिला पंचायत चुनाव में लगे दलों की निष्ठा कुर्सी तक ही सिमटी नजर आती है. असली निगाहें जिला पंचायत के अरबों के बजट पर लगी होती है.