बस्ती में अवैध अस्पतालों को किसका संरक्षण?
बस्ती. उत्तर प्रदेश स्थित बस्ती जनपद में अवैध रूप से कितने निजी हॉस्पिटल चल रहे है यह कह पाना काफी मुश्किल है. जब कभी पीड़ितों द्वारा इनकी शिकायत की जाती है तब कहीं जाकर स्वास्थ्य विभाग जागता है और जांच होती है. कई मामलों में तो अस्पताल सीज हाने के बाद संचालकों ने नाम बदल कर फिर इसी शहर में नया अस्पताल खेल का वही पुराना गोरखधंधा शुरू कर दिया. अब अवैध हॉस्पिटल ही नहीं बल्कि मेडिकल स्टोर और पैथॉलजी भी अवैध संचालित हो रहे है. शिकायत के बाद जिम्मेदारों के जागने और जांच करने के दौरान इसका खुलासा हो रहा है. बिना सीएमओ के यहां पंजीकृत अनाधिकृत कई अस्पतालों को सीज करने की कार्रवाई की गई है. इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों के आस पास गुमटीनुमा दुकानों में अनाधिकृत रूप से मेडिकल स्टोर तक संचालित हो रहे है.
अनाधिकृत रूप से बिना लाइसेंस चल रहे हॉस्पिटलों और दवा की दुकानों पर कार्रवाई तब होती है जब कहीं से शिकायत आती है. इसे लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. आरोप लगाया जा रहा है कि इन अनाधिकृत हॉस्पिटलों और मेडिकल स्टोर संचालकों से सांठगांठ के चलते इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. कोरोना की दूसरी लहर से जूझते शहर में मड़वानगर में शिवा हॉस्पिटल, पचपेड़िया रोड़ पर स्थित आस्था हॉस्पिटल बिना सीएमओ कार्यालय में पंजीकरण के चलते पाए जाने पर उसे सीज करने की कार्रवाई की जा चुकी है. कार्रवाई भी तब हुई जब इन हॉस्पिटलों की शिकायत की गई. शिकायत के बाद जागे जिम्मेदारों ने जांच की तो उनका फर्जीवाड़ा पकड़ में आया. यही नहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बहादुरपुर के पास गुमटी में अवैध रूप से संचालित एक दवा की दुकान को जांच बाद सीज किया दिया. यह दवा की दुकान बिना लाइसेंस के गुमटीनुमा दुकान में चल रही थी. इस दुकान पर भी कार्रवाई तब हुई जब ड्रग विभाग से शिकायत की गई.
शिकायत बाद अधिकारियों की टीम ने छापेमारी की. बहादुरपुर निवासी रतिभान गुप्ता दुकान का संचालन करते मिले, लेकिन लाइसेंस नहीं दिखा पाए. दुकान में रखी लगभग तीस हजार रूपए की दवाएं कब्जे में लेते हुए सीज करने की कार्रवाई की गई. इनमें भी दो दवाओं को संदिग्ध पाए जाने पर उसका नमूना लेकर जांच के लिए भेजा गया. यह कुछ मामले बानगी भर है. जानकारों की माने तो ग्रामीण क्षत्रों में ही नहीं शहरी क्षत्र तक में अवैध रूप से बिना लाइसेंस मेडिकल स्टोर, हॉस्पिटल, पैथॉलजी और अल्ट्रा साउंड सेंटर तक संचालित हो रहे है. दावा किया जा रहा है कि इसकी जानकारी विभाग के लोगों को भी है, लेकिन अवैध कारोबारियों से मिलने वाले लाभ के चलते उन पर कार्रवाई नहीं की जाती. जिम्मेदार तब जागते हैं जब कहीं से कोई शिकायत मिलती है. इसके बाद कागजी कोरम पूरा करने के लिए सीज कार्रवाई कर दी जाती है. यदि अभियान चलाया जाय तो ऐसे अनेक अनाधिकृत अवैध हॉस्पिटल, मेडिकल स्टोर, पैथॉलजी, अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालको का खुलासा हो सकता है.