OPINION: घरेलू हिंसा और अपराध के खिलाफ मुखर होना पड़ेगा
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घरेलू हिंसा (Domestic violence) का शिकार ज्यादातर महिलाओं को होना पडता हैं किन्तु कुछ पुरूषों को भी घरेलू हिंसा का शिकार होना पडता है.
घरेलू हिंसा का जन्म अक्सर गरीबी के कोख और नशेड़ियों के कारण होता है किंतु समाज के कुछ सम्पन्न और लोभी लोग भी दहेज के लालच के चलते महिलाओं को तरह-तरह के ताने और यातनाएं देने से बाज नहीं आते ऐसे लोगों ने समाज के पुरुष वर्ग को कलंकित कर के रख दिया है.
व्यक्ति जब लोभी प्रवृत्त का हो जाता है तो उसे मां बाप और पत्नी से ज्यादा अपने लोभ की पूर्ति पर ध्यान रहता है यही कारण है कि आए दिन शर्मसार करने वाली घटनाएं सुनने को मिलती है कि स्वार्थी व्यक्ति ने अपनी जन्मदाता मां और पालन कर्ता पिता के साथ भी दुर्व्यवहार करने से बाज नहीं आता.
यही कारण है कि आज वृद्धाश्रम में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है.
बुजुर्गों पर Domestic Violence
कुछ तो गरीबी के कारण ; और कुछ ऐसी घटनाएं प्रकाश में आई जिनमें बच्चे सुख सुविधा संपन्न हैं और बुजुर्ग बृद्धा आश्रम में है वर्तमान परिवेश में महिलाओं और बुजुर्गों को उपेक्षा और घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ रहा है.
किन्तु कहीं-कहीं पर शादीशुदा महिलाओं ने दहेज प्रथा कानून का नाजायज सहारा लेकर अपने पति और उनके परिजन के शोषण की बात भी सामने आई है आज के इस शिक्षित समाज में हो रही इस तरह की घटनाएं सभ्य समाज के माथे पर कलंक है.
वर्तमान दौर में समाज की खासकर महिलाओं की शिक्षा दीक्षा और रहन-सहन के स्तर में काफी सुधार हुआ है आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है.
हर क्षेत्र में आगे महिलाएं
चाहे वह खेल जगत हो या किसी कार्यालय से लेकर सेना में भर्ती की बात हो हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं यह हमारे समाज के लिए अच्छा संदेश है क्योंकि जो महिलाएं उच्च शिक्षित होंगी वह अपने बच्चों को भी घर पर अच्छी शिक्षा और संस्कार देंगी.
शिक्षा का ही प्रभाव है कि आज महिलाएं एक शहर से दूसरे शहर में ट्रेनों और बसों तथा निजी साधनों से निर्भीक होकर संस्कारवान महिला के रूप में यात्रा करती हुई दिखाई पड़ जाएंगी. यह हमारे समाज के लिए सुखद पहलू है.
किंतु दुख इस बात का भी है की आज की दौर में भी घरेलू हिंसा का शिकार होने के बाद भी महिलाएं मुखर होकर बोल नहीं पा रही हैं जिसके कारण घरेलू हिंसा करने वालों का मनोबल बढ़ता जा रहा है.
हिंसा की शिकार महिलाओं को यह सोचना होगा कि जब उनके पति को लोक लाज का भय नहीं है तो वह कब तक बर्दाश्त करेंगी यह सब.
Domestice Voilence पर डायल करें 109
एक पुरानी कहावत है कि जहर की दवा जहर ही होता है क्योंकि यदि जहर का प्रभाव मीठे से खत्म करना चाहे तो और बढ़ता है इसीलिए अगर कोई पुरुष शराब पीकर पत्नी को बेवजह प्रताड़ित करता है या लोभी व्यक्ति दहेज के लोग में महिला के साथ ऐसा करता है तो सरकार द्वारा चलाए गए 109 महिला हेल्पलाइन पर शिकायत करने पर राहत जरूर मिलेगा क्योंकि दुष्ट प्रवृति पर सरल भाषा नहीं अपितु कठोर भाषा और डंडे की भाषा ही समझते हैं
घरेलू हिंसा पर नियंत्रण ना हो पाने की एक बड़ी वजह हमारी सरकारों की अपराधों की रोकथाम जमीनी हकीकत से ज्यादा आंकड़ों पर .
हर सरकारे शासन चलाकर अपनी पीठ अपने आप थपथपाने का कार्य कर रहे हैं चाहे कांग्रेस का शासन हो या माया मुलायम अखिलेश का या अब योगी सरकार की शासन व्यवस्था.
Domestic Violence रोकना है तो आंकड़ेबाजी बंद करें
सभी सरकारों का अप्रत्यक्ष रूप से शासन चलाने वाले नौकरशाहों को निर्देश रहता है कि अपराधिक आंकड़े अधिक नहीं होने.
चाहिए यही कारण है कि पुलिस विभाग के अधिकांश अधिकारी ज्यादातर मामलों में एफआइआर दर्ज करने के स्थान पर येन केन प्रकारेण दोनों पक्षों में समझौता कराकर कानूनी कारवाही से बचना चाहते हैं.
यही कारण है कि पीड़ित को उचित न्याय नहीं मिल पाता और शोषण करने वालों का मनोबल बढ़ता है अगर सरकार के मन में वास्तव में घरेलू हिंसा या समाज के अपराधी प्रबृत्ति पर अंकुश लगाना है तो छा माह के लिए आंकड़ों पर सरकार चलाना बंद करना पड़ेगा.
समाज मे शोषण के शिकार लोगों को मुखर होकर अपनी समस्या को रखना पड़ेगा तो निश्चय ही इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
मनोज सिंह. लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. यह उनके निजी विचार हैं.
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Tags: opinion - नज़रिया