Ayodhya News: श्री कृष्ण मनुष्य की समझ से बाहर है : राधेश्याम शास्त्री
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अयोध्या. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास के सानिध्य में मणिरामदास छावनी योग एवं प्राकृतिक चिकित्सालय में श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिवस के सोपान में राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता राधेश्याम शास्त्री जी महाराज ने बताया कि श्रीकृष्ण में भगवत्ता की अभिव्यक्ति बहुत अनूठी है. अभिव्यंजक स्थल के अनूरूप ही अभिव्यक्ति भी होती है. द्वापर युग में अभिव्यंजक स्थल की अनुकूलता के कारण ही ऐसी भगवत्ता की अभिव्यक्ति हो सकी है. श्री कृष्ण हुए तो अतीत में लेकिन हैं भविष्य के. अभी भी कृष्ण मनुष्य की समझ से बाहर हैं. भविष्य में ही यह संभव हो पाएगा कि कृष्ण को हम समझ पाएं.
व्यासपीठ से उन्होंने बताया कि सबसे बड़ा कारण तो यह है कि कृष्ण अकेले ही ऐसे हैं जो धर्म की परम गहराइयों और ऊंचाइयों पर होकर भी मुस्कुरा रहे हैं परम प्रसन्न हैं. अनुराग और वैराग्य उनमें दोनों घटित है.कृष्ण नृत्यमय और संगीत मय हैं. हंसते हुए, गीत गाते हुए. अतीत का सारा धर्म दुखवादी था. कृष्ण को छोड़ दें तो अतीत का सारा धर्म उदास, आंसुओं से भरा हुआ था. हंसता हुआ धर्म विमार और उदास था . श्रीकृष्ण समग्र जीवन को आधे अधूरे में नही वल्कि पूर्णता में स्वीकार करते हैं . जीवन की समग्रता की स्वीकृति उनकी
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