छठवीं पुण्य तिथि पर याद किये गये जन कवि बाल सोम गौतम
बस्ती . ‘ ये शाम और ये फूलों का मुरझाना देख उदासी क्यों, जब तय है होगी सुबह, खिलेंगे फूल हजारों नये-नये’ जैसी रचनाओं से समाज को संदेश देने वाले जन कवि बाल सोम गौतम को उनकी छठवीं पुण्य तिथि पर याद किया गया. बालसोम गौतम स्मृति संस्थान की ओर से रविवार को प्रेस क्लब के सभागार में आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में कवि, शायरों ने बालसोम गौतम के साहित्यिक योगदान पर विमर्श किया.
मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक दिनेश चन्द्र पाण्डेय ने कहा कि बालसोम गौतम का रचना संसार विविधता लिये हुये हैं. वे अपने समय के सशक्त हस्ताक्षर थे, उनकी कवितायेें हमें संकट में साहस देती है.
अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने कहा कि बाल सोम गौतम को याद करना इतिहास के कई बिन्दुओं को खंगालने जैसा है. वे स्वयं में अप्रतिम कवि थे. उन्होने बालसोम गौतम से जुड़े अनेक प्रसंगोें, अनुभवों को साझा किया. उनकी कविता ‘ हर पल गीत प्रेम के गाया, नहीं किसी का हृदय दुःखाया, कौन करे अब लेखा जोखा, जीवन में क्या खोया पाया’ को श्रोताओं ने सराहा.
कवि सम्मेलन, मुशायरे का संचालन करते हुये विनोद उपाध्याय ने बाल सोम गौतम के व्यक्तित्व, कृतित्व पर प्रकाश डालने के साथ ही अपनी गज़लों के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया. अफजल हुसेन अफजल के शेर ‘है जुबा मुंह में मगर बात नहीं, उनके जैसे मेरे हालात नहीं’ को सराहा गया. डा. स्नेहा पाण्डेय, अर्चना श्रीवास्तव, सुशील सिंह पथिक, चन्द्रमोहन लाला, हरीश दरवेश आदि की रचनायें सराही गई. बाल सोम गौतम के अधिवक्ता पुत्र सिद्धार्थ गौतम ने अपने पिता की रचनाओं की प्रस्तुति दिया. आयोजक सुरेश सिंह गौतम ने आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया.
कार्यक्रम में मुख्य रूप से नीरज वर्मा ‘नीर प्रिय’ सामईन फारूकी के साथ ही बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे.