संतों की मणिमाला में अमूल्य संत थे रामविलास दास
अयोध्या. भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या तपस्या और वैराग्य के लिए सदियों से जानी जाती है और इस वैराग्य की भूमि पर समय समय पर अनेकों संत हुए हैं जिन्होंने अपनी तपस्या और सेवा के कारण आज भी स्मरण किया जाता है. इन्हीं संतों की मणिमला में सेवा प्रेमी संत श्री महंत रामविलास दास जी को भी जाना और पहचाना जाता है. सैकड़ो वर्ष पहले जब बायपास पर झाड़ियां और जंगल होते थे उसे समय श्री महाराज जी संकट मोचन हनुमान किला की स्थापना करके लोगों की सेवा का कार्य करते थे और अयोध्या में आने वाला कोई भी श्रद्धालु वह किसी भी अवस्था में हो अगर श्री महाराज जी के आश्रम तक पहुंच जाता था तो निश्चित रूप से वह अपने आप को सुरक्षित महसूस करता था और श्री महाराज जी आश्रम में जितनी भी सुविधाएं होती थी अयोध्या में आने वाले भक्तों की सेवा में प्रस्तुत कर देते थे. श्री महाराज जी कहा करते थे की हम अयोध्यावासी भगवान के प्रतिनिधि के रूप में यहां रहते हैं और जो भी व्यक्ति अयोध्या में हमारे आराध्य के दर्शन पूजन के लिए आता है उसकी सेवा ही हमारा धर्म है क्योंकि वह प्रभु का भक्त है.
संकट मोचन हनुमान किला के वर्तमान पीठाधीश्वर महंत परशुराम दास महाराज ने बताया की श्री महाराज जी ने जो सेवा का पाठ हम सबको पढ़ाया था आश्रम में आज भी उतनी ही शिद्दत के साथ अयोध्या में आने वाले लोगों की सेवा की जाती है. उन्होंने बताया की 2015 तक श्री महाराज जी स्वयं लोगों की सेवा करते रहे उनके ना रहने के बाद उनके प्रतिनिधि के रूप में हम सब आश्रम में सेवा संचालित करते रहते हैं और उनकी याद में अगहन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पढ़ने वाली उनकी पुण्यतिथि बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. इस वर्ष सातवीं पुण्यतिथि 12 नवंबर को संकट मोचन हनुमान किला में मनाई जाएगी जिसकी तैयारी प्रारंभ कर दी गई है जिसमें संतों महंतों सैकड़ो की संख्या में सेवक सती सम्मिलित होंगे.