Basti News: हर्रैया के बड़ेरिया कुंवर में 3 लाख 24 हजार का सीसी रोड कागज में बनकर तैयारः गबन का आरोप
कैलाश पांडेय-भारतीय बस्ती संवाददाता-
हर्रैया (बस्ती). विकासखंड हरैया तो भ्रष्टाचार के मामले में पिछले कुछ सालों से नंबर वन माना जा रहा है तो वही विकासखंड हरैया के ग्राम पंचायत बड़ेरिया कुंवर का मामला प्रकाश में आया है . यहां पूर्व प्रधान और महिला सचिव द्वारा 80 मीटर लंबी 3 मीटर चौड़ी सीसी रोड लागत 3 लाख 24 हजार रुपए का भुगतान निकाल दिया गया और 80 मीटर सीसी रोड जमीन पर ना होकर कागजों में बनकर तैयार हो गया .
बताते चले की ग्राम पंचायत बड़ेरिया कुंवर निवासी घनश्याम पुत्र रामपति शपथ पत्र सहित एक प्रार्थना पत्र जिला अधिकारी को रजिस्ट्री के माध्यम से शिकायत किया है. शिकायतकर्ता का कहना है कि वर्ष 2020-- 21 मैं मनरेगा योजना से चंद्रभान शर्मा के घर से राम भवन के घर तक 80 मीटर सीसी रोड का निर्माण पूर्व प्रधान और महिला सचिव द्वारा कार्यों में बनाकर 324000 रुपया गमन कर लिया गया है जिसकी जानकारी शिकायतकर्ता को सोशल ऑडिट के दौरान मिली है जब इस बात की शिकायत सोशल ऑडिट टीम से की गई तो टीम के द्वारा गमन का मामला छिपाया गया प्रार्थी के पत्र को जिला अधिकारी महोदया द्वारा संज्ञान में लिया गया इसकी जांच कराने के लिए मुख्य विकास अधिकारी डा0 राजेश कुमार प्रजापति को सौंप दिया गया .
मुख्य विकास अधिकारी ने दो सदस्यीय टीम जिला क्रीड़ा अधिकारी और राधेश्याम अवर अभियंता प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग को 12 - 9 -2022 को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है लेकिन शिकायतकर्ता का कहना है ग्राम पंचायत मैं अभी तक कोई जांच नहीं हुआ ना ही कोई कार्रवाई के लिए अधिकारी को रिपोर्ट दीया गया उधर ब्लॉक कर्मचारी अपने सचिव और तकनीकी सहायक को बचाने मैं दिन-रात कोशिश कर रहे हैं .
जब इस बारे में सचिव सौर्य शिप्रा सिंह से फोन पर गबन के आरोप के बारे में पूछा गया तो उनका कहना है कि उस सड़क के बदले में हम लोग दूसरा सीसी रोड बना दिया है चाहे तो तकनीकी सहायक एच के सिंह बात कर लीजिए वही जब तकनीकी सहायक से बात हुई तो जो सही सड़क के बारे में तो जरूर कहा लेकिन उस सड़क पर गबन का भी जिक्र किए इसे गबन ही माना जाएगा
अब सवाल यह है की यह 80 मीटर सीसी रोड चंद्रभान शर्मा के घर से राम भगवान के घर से नहीं बनाया गया तो उस कार्य योजना को उस समय डिलीट क्यों नहीं किया गया और यह सड़क का जिक्र अब सामने आ रहा है तो किसके घर से किसके घर पर बनाई गई उसकी स्वीकृत क्यों नहीं लिया गया और उन लोगों के कहने के अनुसार यह मान भी लिया जाए तो भी क्या पता है कि उस सड़क पर भुगतान किया गया है या नहीं . अब देखना ये है की योगी जी के सरकार में जांच टीम कितनी निष्पक्षता से अपनी रिपोर्ट मुख्य विकास अधिकारी महोदय को देते हैं. ग्रामीण निगाह लगाये बैठे हैं.