कांग्रेस का मोदी सरकार पर आरोप- Made In China को प्रोत्साहन देने वाला है RCEP
नई दिल्ली. कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार की प्राथमिकताएं गलत है. शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि ‘आज हम सभी को चिंतित करने वाले मुद्दे पर बात करना चाहेंगे. हमारा देश गहरे आर्थिक संकट और मंगदी की ओर बढ़ रहा है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था के कृषि, रोजगार, उद्योग और व्यापार जैसे लगभग सभी क्षेत्रों को प्रभावित करता है.’
उन्होंने कहा कि ‘अधिकांश भारतीयों के लिए जीवन यापन मुश्किल हो रहा है. यह एक जिम्मेदार सरकार का समय है, जो लोगों की कठिनाइयों के बारे में चिंतित हो. यह समय है कि सरकार तीव्र आर्थिक पुनरुद्धार के लिए उपलब्ध सभी संसाधनों के इस्तेमाल पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करे.’
एंटनी ने कहा – ‘इसके उलट, सरकार की प्राथमिकताएं गलत हैं। वे आम आदमी की कठिनाइयों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं. आर्थिक पुनरुद्धार के लिए एक त्वरित समाधान के बजाय, वे अपने समय का उपयोग आरसीईपी (RCEP) समझौते पर चर्चा करने के लिए कर रहे हैं.’
RCEP मेड इन चाइना को करेगा प्रोत्साहित
प्रेस वार्ता में एंटनी ने कहा कि ‘एक पार्टी के रूप में, कांग्रेस हमेशा लोगों की चिंताओं के प्रति संवेदनशील है. कांग्रेस पार्टी आरसीईपी वार्ता और समझौते का पूरी तरह से विरोध कर रही है.’
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सूरजेवाला ने कहा कि ‘आज भाजपा सरकार की नीतियों के चलते न रोटी है और न रोजगार. आम दुकानदार और व्यवसायी जिस प्रकार मंदी और तालाबंदी की मार झेल रहा है, उसका कोई दूसरा उदाहरण आजाद हिंदुस्तान में नहीं है.’
उन्होंने कहा कि ‘आज जब दुकानदार, छोटे उद्यमी, कृषि सम्बंधित अर्थव्यवस्था में सुधार करने की आवश्यकता है, तो उसे छोड़कर भाजपा सरकार ऐसे रास्ते पर चल रही है, जो देश के साथ खिलवाड़ है.’
सूरजेवाला ने कहा कि –
सूरजेवाला ने कहा कि ‘मोदी जी RCEP पर हस्ताक्षर करने की सोच रहे हैं, इसके भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई उलझाव हैं. भारत का व्यापार घाटा इस समय $120 बिलियन है. इस समझौता के जरिए मुक्त व्यापार करने पर यह बढ़ेगा.’
पूर्व कांग्रेस विधायक ने दावा किया कि ‘इस समझौते से किसान-खेत मजदूर के हित भी प्रतिकूल तौर पर प्रभावित होंगे. बीज पर स्वायत्ता गंभीर चिंता का विषय होगा। विदेशी उत्पादों के कारण डेयरी उद्योग खतरे में पड़ जाएगा. मछली पालन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. कृषि उत्पादों की कीमतों में गिरावट आएगी.’
कहा कि ‘RCEP के बाद चीन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर अपने सस्ते सामान ज्यादा संख्या में हिंदुस्तान में बेचकर हमारे स्थानीय उद्योगों को नुकसान पहुंचाएगा. इसके बाद एक्सपोर्ट ऑफ पर्सनल शायद इन मुल्कों में न हो पाए, क्योंकि वो उनको संवेदनशील सूची में डाल सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि ‘आज जब आंतरिक अर्थव्यवस्था को मजबूत करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए, तो मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करना न उचित है और न ही तर्कसंगत है। इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है.’
RCEP पर बोले जयराम रमेश
इस मुद्दे पर प्रेस वार्ता के दौरान जय राम रमेश ने कहा कि ‘नोटबंदी और जल्दबाजी में लागू की गई जीएसटी के बाद हमारी अर्थव्यवस्था पर ये तीसरा झटका होगा, जब प्रधानमंत्री RCEP पर अनुमति देंगे.’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के तीन महत्वपूर्ण मुद्दे हैं:- ‘1. RCEP की वजह से चीन से आयात का उदारीकरण होने वाला है। हमें नहीं मालूम कि वुहान और महाबलीपुरम में क्या बात हुई, मगर वुहान और महाबलीपुरम की मुलाकात के बाद ये हो रहा है। ये मेड इन चाइना को प्रोत्साहन देने वाला है.’
दूसरे मुद्दे का जिक्र करते हुए रमेश ने कहा कि ‘हमारे कृषि क्षेत्र, डेयरी उद्योग पर संकट आएगा। अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर ने पीयूष गोयल जी को खत लिखकर RCEP समझौते पर हस्ताक्षर न करने की बात कही। नकारात्मक प्रभाव के बारे में विस्तार से लिखा. अमूल को नजरअंदाज करने से बड़ा खिलवाड़ किसानों के साथ नहीं हो सकता.’
तीसरे मुद्दे पर रमेश ने कहा कि ‘इस सरकार के मंत्रियों ने कहा है कि हम डेटा पर काबू रखेंगे. हमारा सिद्धान्त था कि राष्ट्रीय और सुरक्षा हित के मद्देनजर भारत ‘फ्री डेटा फ्लो’ स्वीकारेगा, परन्तु RCEP के मौजूदा मसौदे से ‘राष्ट्रीय हित’ हटाया गया है. यह हमारे देश के हित में नहीं है.’
Rcep आत्महत्या जैसा
रमेश ने कहा कि ‘जब हमारी अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है, तो आयात का उदारीकरण करना, RCEP पर हस्ताक्षर करना आत्महत्या है.’
कहा कि ‘अर्थव्यवस्था डूब रही है और प्रधानमंत्री RCEP पर हस्ताक्षर करते हैं, तो ये खिलवाड़ है. एक पुरानी कहावत है- विनाशकाले विपरीत बुद्धि, ये ठीक ऐसा ही होगा.’
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