बिना बिजली के कैसे चलती थी भारत में AC ट्रेन? आजादी के पहले की ट्रेन वंदे भारत को देती थी टक्कर
आजादी के पहले से ही चलती आ रही इस ट्रेन की बात ही अलग है, इस ट्रेन का नाम गोल्डन टेंपल मेल (फ्रंटियर मेल) है। यह ट्रेन ब्रिटिशर्स के समय की सबसे फास्टेस्ट ट्रेन मानी जाती थी, जो पार्टीशन से पहले मुंबई से पेशावर के बीच में 2350 किलोमीटर की दूरी को कवर करती थी। फ्रंटियर मेल की शुरुआत 1 सितंबर 1928 में की गई थी, जिससे ब्रिटिश ऑफिसर, इंडियन आईएएस, आर्मी ऑफिसर, और इंग्लैंड से आने वाले लोग इस ट्रेन में अपना सफर आसानी से कर सके।
फ्रंटियर मेल मुंबई के विक्टोरिया टर्मिनस रेलवे स्टेशन से पेशावर के बीच में चला करती थी, पर सितंबर से दिसंबर के महीने के बीच में मुंबई के बलद स्टेशन से चला करती थी, इसका यह कारण था कि इंग्लैंड से पानी के माध्यम से आने वाले लोग इसमे डायरेक्ट सफर कर सके।
उस समय फ्रंटियर मेल कि यह बात बहुत प्रसिद्ध थी कि आपकी रोलेक्स घड़ी लेट हो सकती है लेकिन फ्रंटियर मिल कभी भी अपने समय से लेट नहीं पहुंचती थी। फ्रंटियर मेल इनॉग्रेशन के 11 महीने बाद यानी अगस्त 1929 में एक बार ट्रेन अपने तय समय से 15 मिनट देरी से मुंबई पहुंची थी, लेट होने के कारण ड्राइवर से पूछताछ भी की गई थी और इंक्वारी में बैठाई गई थी।
शुरुआती कुछ साल तक फ्रंटियर मेल में ईएम क्लास स्टीम लोकोमोटिव लगाया जाता था जो की खास तौर पर अपने डिजाइन था अपने बड़े पहियों के कारण बटर एक्सीलरेशन और डिएक्सीलरेशन के लिए, कभी-कभी फ्रंटियर मेल ट्रेन में एच क्लास स्क्रीन लोकोमोटिवभी देखा गया है।
1935 के बाद फ्रंटियर मेल में एक्स 462 पेसिफिक क्लास स्टीम लोकोमोटिव करा करता था जो कि आज़ादी से पहले भारतीय रेलवे का सबसे सफल इंजन माना जाता था। सन् 1934 में इसमें पहली बार AC कोच लगाया था इसका कारण यह था कि इंग्लैंड/ब्रिटिशर्स को गर्मी न लगे। उस समय की फ्रंटियर मेल ट्रेन इस समय के वंदे भारत को टक्कर देती है।